संस्कृति विमर्श : होलिका की पीड़ा
संस्कृति का इतिहास बर्बरता का भी इतिहास रहा है। इतिहास की तथाकथित जय यात्रा में ना जाने कितनी अस्मिताओं को मूक बनाकर उसे पुरुष सापेक्ष वीरता के इतिहास के रूप में परोसा गया। इतिहास और मिथकों में अस्मिताओं की हत्या के साथ उन्हें खलनायक के रूप में प्रस्तुत करने का भी पुरजोर तरीके से काम हुआ है। हिन्दू मिथक और इतिहास में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं। मैं होलिका , युग-युग से अपनी ऐसी गलती के लिए प्रताड़ित हो रही हूँ जो मैंने की ही नहीं थी। पितृसत्ता की धूर्त चाल ने मिथ को ऐसे गढ़ा कि पुनि- पुनि स्त्री को बदनामी ही विरासत में मिली। आप सभी जानते हैं कि प्रह्लाद मेरा भतीजा था , बहुत प्यारा भतीजा। बुआ तो माँ से कमतर नहीं होती। आप भी किसी की बुआ होंगी। आप अपने प्रह्लाद के बारे में सपने में भी ऐसा सोच सकती हैं ? हिरणाकश्यप दम्भी राजा था। नास्तिक था। प्रह्लाद घोर आस्तिक। बचपन से विष्णु भक्त। जब वह प्रह्लाद को मार देने की सारी बाजी हार गया त...