महामारी की त्रासदी से जूझती कविता

मानव सभ्यता और महामारी के आपसी रिश्ते का इतिहास कितना पुराना है कहना कठिन है| पूर्व में महामारी का आतंक इतना भीषण और त्रासदपूर्ण था कि लोग इसे ईश्वरीय अभिशाप के रूप के रूप में देखते थे| अभी भी गाँवों में चेचक को ‘देवी’ की संज्ञा दी जाती है| महामारी की विनाशलीला को मनुष्य-जाति ने बहुत करीब से देखा है और अपनी आंखों के सामने गाँव-दर-गाँव को उजड़ते हुए भी| श्मसान में लाशों को जलाने और दफनाने के लिए न जगह मिल पाती थी न ही इस कार्य के लिए लोग ही मिल पाते थे। महामारी के आगे मनुष्य की लाचारी और बेचारगी ने साहित्य को भी अपनी ओर आकर्षित किया। संपूर्ण विश्वसाहित्य में महामारी की त्रासदपूर्ण गाथा को केंद्रित कर एक से एक साहित्यिक रचनाएं हुई है, जिनमें कामू का प्लेग विश्व प्रसिद्ध उपन्यास के रूप में जाना जाता है। फासीवादी उभार के बीच महामारी की मार और समाज की हृदयहीनता को समझने के प्रयास ने इस उपन्यास को श्रेष्ठतम उपन्यास का दर्ज़ा दिलाया| कोलंबिया के प्रसिद्ध लेखक ग्राबिल गार्सिया मार्खेज के उपन्यास लव इन द टाइम ऑफ़ कोलरा में प्रेम और यातना की संघर्षकथा को अद्भुत...