भामती : अध्यात्मवादी दर्शनक ढूह पर निष्कंप सुनगैत स्त्री-कथा
प्रख्यात मीमांसक, दार्शनिक मैथिल विद्वान पंडित वाचस्पति मिश्रक पत्नी भामतीक समुद्र सन दुःख आ पहाड़ सन पीड़ाक औपन्यासिक कथन अछि ‘ भामती ’ | दसम शताब्दीक एकटा स्त्रीक हाहाकारकेँ अंततः एक्केसम शताब्दीक एकटा स्त्री उषाकिरण खाने सुनलन्हि| हजार वर्ष धरि वाचस्पति मिश्रक महिमामंडन होइत रहल, भामतीक अमरत्वक गान होइत रहल, मुदा एहि महिमामंडन आ गानक नीचा दबल भामतीक सिसकी कियो नहि सुनलक| एहि मौन रूदनकेँ सुनबा लेल अपार साहस अपेक्षित| कारण जे वर्ण-श्रेष्ठता, लैंगिक पूर्वग्रह, धार्मिक संकीर्णता आ अध्यात्मवादी दर्शनक पेंच, सिसकीक कर्ता आ कारण अछि ओकरा प्रति आलोचनात्मक होयबाक साहस अनिवार्य| जिनकामे ई साहस नहि ओ एकटा विदुषी मैथिलानीक हाक्रोशकेँ नहि सुनि सकैत छथि| त आबी, हम सभ मात्र मनुष्य भ’ उषाकिरण खानक सौजन्यसँ भामतीक असाधारण दुःखकेँ साझा करी| मैथिली आ हिन्दीक प्रसिद्ध लेखिका उषाकिरण खानक उपन्यास ‘ भामती ’ मैथिली उपन्यास परंपरामे अत्यंत महत्वपूर्ण कृतिक रूपमे स्मरण कयल जयबाक संभावनासँ संपृक्त अछि| एकर कयकटा कारण अछि- पहिल, त’ ई जे ‘ भामती ’ मिथिलाक ग...