भारतीय भक्ति साहित्य से संवाद

भारतीय भक्ति साहित्य से संवाद यह दौर उलटबाँसी का है। और समय-समय पर इस उलटबांसी की आवृति होती रहती है। उलटबाँसी यह है कि जो धर्म अहिंसा और सहिष्णुता का पर्याय रहा है उसी धर्म के नाम पर हिंसा और असहिष्णुता का खेल खेला जाता रहा है। इससे बड़ी उलटबांसी और क्या हो सकती है ? इसी धर्म के नाम पर जघन्य कत्लेआम होते रहे हैं। आज यह धार्मिक उन्मादपरक हिंसा वैश्विक संकट के रूप में हमारे सामने खड़ा है। इसकी परिणति अत्यंत भयावह और खौफनाक होने वाली है। हिंदी के वरिष्ठ आलोचक शम्भुनाथ की नई पुस्तक ' भक्ति आंदोलन और उत्तर धार्मिक संकट ' ( वाणी प्रकाशन , पेपरबैक संस्करण 2023) भारतीय भक्ति आंदोलन और भक्तिकाव्य को समकालीन संदर्भ में देखने-परखने की सफल कोशिश है। अमूमन हिंदी पट्टी के विद्यार्थियों , शोधार्थियों और अध्येताओं को उत्तर भारत के भक्ति आंदोलन से ही परिचिति रही है। 539 पृष्ठों और चार खंडों में विभाजित इस पुस्तक की खासियत यह है कि इसमें सं...