अपने अपने नामवर
हिन्दी दुनिया में सबके अपने-अपने नामवर सिंह हैं| किसी के पास थोड़ा अधिक तो किसी के पास थोड़ा कम| एक-दूसरे से अलग-अलग नामवर| थोड़ा-थोड़ा नामवर सिंह सबको चाहिए| और सभी उस नामवर को अपने पास बचा कर, सहेजकर रखना चाहते हैं| एक नामवर सिंह राजेन्द्र यादव, अशोक वाजपेयी आदि के पास हैं तो दूसरे विश्वनाथ त्रिपाठी, निर्मला जैन तथा खगेन्द्र ठाकुर आदि के पास| एक नामवर सिंह विश्वनाथ प्रसाद तिवारी और रामबहादुर राय के पास हैं तो दूसरे अरुण कमल, सदानंद साही और रविभूषण के पास| एक नामवर सिंह जगदीश्वर चतुर्वेदी के पास हैं तो पुरुषोत्तम अग्रवाल के पास भी हैं| एक नामवर सिंह इतिहासकार भगवान जोश, लालबहादुर वर्मा, समाजशास्त्री आनंद कुमार, मराठी लेखक गोविन्द पुरुषोत्तम देशपाण्डे, भालचंद्र नेमाडे, उडिया लेखिका प्रतिभा राय, अंग्रेजी लेखक हरीश त्रिवेदी आदि न जाने कितनी अलग-अलग भाषाओं और अलग अनुशासनों के विद्वानो के हैं| हिन्दी में तो कदाचित ही कोई लेखक या शिक्षक हो जिनके पास थोड़ा-थोड़ा नामवर सिंह न हों| भारतीय भाषाओं के साहित्य में किवदंती बन चुके आलोचक नामवर सिंह इन सबों के पास हैं| किन्हीं के पास अच्छे नामवर है...